रविवार, 13 मई 2012

जीवन साथी के आने से क्या जीवन सुखमयी गुजरेगा



- पंडित राज (एमए)

    हस्तरेखा एक गहन अध्ययन का विषयरहा है हमारे भारत वर्ष में अनेकविद्वानों ने हथेलीपर उभरती आकृतियों के माध्यम सेअनेक भविष्यवाणियां की, जो कि वास्तव मेंअटल सत्य की भांति घटित हुईं। हस्त विज्ञान के महान ज्ञाता कीरो जिन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि वास्तव में मानव के हाथों में अंकित चिन्हों सेउसके आने वाले समयका सही मूल्यांकन किया सकता है।
    विवाह रेखा (Marrige Line) या फिर लगाव रेखा (AffectiomLine) के संबंध में विचार करते समय यह देखनाभी अतिआवश्यकहै कि हाथ किस ग्रह सेप्रभावित है। व अन्य चिन्हों और संकेतों को भी अपनी विचार परिधि में लाना जरूरी है। केवल लम्बी सुन्दर रेखा ही विवाह संबंध या साथी दर्शातीहै, छोटी रेखायें विपरीतसंबंध प्रेम व आकर्षण विवाह करनेकी इच्छा का स्पष्टïी करण करती है।
    बुध क्षेत्रसे यह स्पष्टï अनुमान लगाया जा सकता है है कि विवाह संबंध किस आयु मेंहोगा। विवाह रेखा कनिष्ठïा उंगली के मूल से हृदय के ऊपर की आड़ी रेखाओं को कहा जाता है। यह रेखा हृदय रेखा के नजदीक हो तो यह आयु 15 से 19 व मध्य में हो तो 21से 28 वर्षतृतीयचरण पर हो तो 28 से 35 वर्ष की अवस्था में विवाह या जीवन साथी जिन्दगी में आएगा। सही तौर पर हृदय से कनिष्ठïा के मूल तक 60 वर्ष मान लें व बीच 30 वर्ष उसी के माध्यम से आयु की गणना करें।
    जिस जातक के हाथ में सूर्य पर्वत अधिक प्रबल हो वह जातक युवास्था में कदम रखते ही विवाह कर लेता है। ऐसा व्यक्तिजीवन साथी सुन्दर आकर्षकव तेजस्वी पसंद करता है इसके विपरीत  िमलने पर वह सुखी नहीं रह पाता है। गुरुपर्व अधिक प्रबल होने पर जातक विवाह को अधिक महत्व देता है। ऐसे जातक के हाथ में हृदय रेखा के समीप ही विवाह रेखा अंकित होगी व ऐसे जातक का विवाह छोटी आयु में हो जाएगा। शनि क्षेत्र प्रबल होने पर जातक विवाह को पसंद नहीं करता है धनवान होगा तो उसके दुर्गुण छिपे होंगे वह विवाह से पहले ही कई स्त्रियों से शारीरिक संबंध होंगे ऐसा व्यक्ति निश्चित तौर पर जीवन साथी का चुनाव ठीक तरह नहीं कर पाता है। हाथ में प्रथम लगाव रेखा पत्नी व मध्य आयु में पहुंचते-पहुंचते गहरी हो जाएंगी। शनि पर्व के साथ शुक्र क्षेत्र भी प्रबल हो तो ऐसा जातक दुष्कर्मी व भोग विलासी में लिप्त रहता है।
    बुध पर्वत पर स्पष्टï विवाह रेखा अंकित हो और साथ ही सूर्य रेखा सुन्दरता से गहरी सीधी अंकित हो व विवाह रेखा से एक रेखा निकल कर सूर्य पर्वत पर पहुंच जाये व साथ ही गुरु पर्वत पर क्रास हो तो उस व्यक्ति का विवाह काफी धनवान व प्रतिष्ठिïत जगह पर होगा।
    विवाह रेखा सुन्दरता से अंकित हो और भाग्य रेखा में चन्द्र पर्वत से उभरती हुई एक रेखा (प्रभाव रेखा) शनि रेखा में आकर मिल जाये व साथ ही सूर्य रेखा सीधी व टूटी या छिन्न-भिन्न न हो तो ऐसा व्यक्ति विवाह के पश्चात सम्मानीय व धनवान हो जाता है।
    यदि भाग्य रेखा जीवन रेखा के अन्दर शुक्रक्षेत्र से आरंभ हो तो ऐसा जातक अपने जीवन साथी पर आधारित रहता है। स्त्री हो तो पति पर पति हो पत्नी पर आधारित रहता है। ऐसे जातक का भाग्य ठीक तरह सुखमय नहीं गुजर पाता है। चन्द्रक्षेत्र से प्रभाव रेखा शनि रेखा के साथ-साथ चले तो वह प्रेम संबंध की सूचक होगी। यदि वह रेखा भाग्य रेखा को काटकर प्रथम मंगल क्षेत्र पर पहुंच जाये तो प्रेम घृणा में परिवर्तित हो जाएगा। फलस्वरूप जातक अपना कैरियर चौपट कर लेगा। विवाह रेखा सुन्दरता से स्पष्टï हो व भाग्य रेखा हृदय रेखा पर समाप्त हो व दोनों हेथियों को मिलाने पर दोनों हाथ की हृदय रेखा का आधा चन्द्रमा बनता हो ऐसा जातक सुन्दर स्त्री से प्रेम विवाह (लव मैरिज) करता है। विवाह रेखा का आगे का हिस्सा हृदय रेखा की तरफ झुकाव लिये हो वह शनि रेखा हृदय रेखा पर समाप्त हो उसी जगह प्रथम मंगल क्षेत्र में एक रेखा निकलकर आ जावे व आयु और मस्तक रेखा को काट वह मणिबंध के ऊपर प्रबल के मूल में एक त्रिकोण बन जावे तो जातक एक तरफा मोहब्बत में भ्रमित होता है। वह अपने जीवन का सत्यानाश कर लेता है।
    यदि विवाह रेखा कनिष्ठïा उंगली के मूल में प्रवेश कर जाये तो ऐसा व्यक्ति आजीवन कुंवारा रहता है व शुक्र क्षेत्र से जितनी रेखाएं प्रहार करती होंगी उतने ही परिवार के लोग विघ्न डालेंगे व मंगल क्षेत्र से प्रहार करती हों तो मिलने-जुलने, जलने, ईष्र्या रखने वाले लोग विघ्न डालेंगे।
    यदि विवाह रेखा हृदय रेखा में जुड़ जाये व आगे बढ़ती हुई मंगल क्षेत्र पर उसकी एक शाखा पहुंच जाये तो जल्दी ही उसके जीवन साथी का साथ छूट जाएगा व उसके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। जिस जातक के हाथ में विवाह रेखा नहीं है ऐसे जातक को हृदय से संबंधित रोग हो जाएंगे व शनि प्रबल हो साथ ही शुक्र प्रबल हो और लालिमा लिये हो तो ऐसा व्यक्ति वासनात्मक स्थिति में पहुंच जाता है। अगर हृदय रेखा छिन्न-भिन्न हो तो हृदय रोग से मृत्यु तक की संभावना होगी।
    विवाह रेखा पर क्रास, दीप, द्विशारणी हो जाये तो ऐसे व्यक्ति का जीवन विवाह के पश्चात जीवन साथी से तनाव व कलह बना रहेगा। व मंगल क्षेत्र पर मंगल रेखा व आयु के बीच की उध्र्व रेखा टूट जाये या हल्की पड़ जाये या मंगल क्षेत्र से एक रेखा निकल कर विवाह रेखा में मिल जाये तो स्थिति तलाक तक पहुंच जाएगी।
    विवाह रेखा जातक के हाथ में झुकी हुई हो तो उसके जीवन साथी की उससे पहले मृत्यु होगी। पति के हाथ में झुकी हो पत्नी की और पत्नी के हाथ में झुकी हो तो पति का स्वर्गवास पहले होगा।

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